हनुमान जी हर भक्त को बहुत प्यार करते हैं। भक्त उनकी पूजा कर खुश होते हैं। भक्तों में, खासकर हनुमान जयंती पर, बहुत उत्साह है। चैत्र पूर्णिमा पर हर साल हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस बार 6 अप्रैल है। इसलिए हम हनुमान जी से कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। हनुमान को बजरंगबली का नाम कैसे मिला? इसकी रोचक कहानी है।
ऐसे हनुमान जी का नाम मारुति पड़ा था –
हनुमान जी को शिवजी का ग्यारहवां रुद्रावतार कहा जाता है। कुल 108 नाम हैं। हनुमान और मारुति भी इसमें हैं। जन्मते समय उनका नाम मारुति था। उन्हें उनकी माता अंजनि ने ये नाम दिया था। उनका पिता वानरराज केसरी था। जन्म से ही हनुमान जी बहुत नटखट थे। उन्हें खेलना, कूदना और मनोरंजन करना बहुत अच्छा लगता था। उन्हें खाना पीना भी बहुत अच्छा लगता था।
हनुमानजी को बचपन में एक दिन बहुत भूख लगी। तब वह खाने की तलाश में चला गया। दूर, उन्हें एक लाल गोला दिखाई दिया। वह उड़ते हुए इसके पास गया और गोली को निगल लिया। ऐसा करते ही दुनिया अंधेरा हो गया। दरअसल, उन्होंने सूरज को फल समझकर खा लिया। अब सभी देवता मारुति के पास आए। सूर्यदेव को बाहर निकालने का आदेश दिया।
जब इंद्रदेव ने मारुति की हनु (ठोड़ी) तोड़ी
हनुमान ने बाल को हठ पर रखा। वे किसी को नहीं सुनते थे। इन्द्रदेव इसे देखकर बेहोश हो गया। उन्होंने अपना वज्र उठाया और मारुति को मार डाला। इससे मारुति की हनु यानी की ठोड़ी थोड़ी टूट गई, इसलिए उसे हनुमान कहा जाता है। हनुमान चालीसा में भी इस कहानी का जिक्र है। इस प्रकार मारुति हनुमान बन गए।
हनुमान जी के मारुति का नाम भी बहुत है। इनमें 108 नाम हैं, जिनमें बजरंगबली और पवनपुत्र भी शामिल हैं। आज हम इन नामों को देखेंगे। इन नामों को आप चाहें तो अपने बच्चों का नाम भी दे सकते हैं। ये 108 नाम हैं।
हनुमान जी के 108 नाम (Hanuman 108 Names) जो निचे दिए गए है
1.भीमसेन सहायकृते
2. कपीश्वराय
3. महाकायाय
4. कपिसेनानायक
5. कुमार ब्रह्मचारिणे
6. महाबलपराक्रमी
7. रामदूताय
8. वानराय
9. केसरी सुताय
10. शोक निवारणाय
11. अंजनागर्भसंभूताय
12. विभीषणप्रियाय
13. वज्रकायाय
14. रामभक्ताय
15. लंकापुरीविदाहक
16. सुग्रीव सचिवाय
17. पिंगलाक्षाय
18. हरिमर्कटमर्कटाय
19. रामकथालोलाय
20. सीतान्वेणकर्त्ता
21. वज्रनखाय
22. रुद्रवीर्य
23. वायु पुत्र
24. रामभक्त
25. वानरेश्वर
26. ब्रह्मचारी
27. आंजनेय
28. महावीर
29. हनुमत
30. मारुतात्मज
31. तत्वज्ञानप्रदाता
32. सीता मुद्राप्रदाता
33. अशोकवह्रिकक्षेत्रे
34. सर्वमायाविभंजन
35. सर्वबन्धविमोत्र
36. रक्षाविध्वंसकारी
37. परविद्यापरिहारी
38. परमशौर्यविनाशय
39. परमंत्र निराकर्त्रे
40. परयंत्र प्रभेदकाय
41. सर्वग्रह निवासिने
42. सर्वदु:खहराय
43. सर्वलोकचारिणे
44. मनोजवय
45. पारिजातमूलस्थाय
46. सर्वमूत्ररूपवते
47. सर्वतंत्ररूपिणे
48. सर्वयंत्रात्मकाय
49. सर्वरोगहराय
50. प्रभवे
51. सर्वविद्यासम्पत
52. भविष्य चतुरानन
53. रत्नकुण्डल पाहक
54. चंचलद्वाल
55. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
56. कारागृहविमोक्त्री
57. सर्वबंधमोचकाय
58. सागरोत्तारकाय
59. प्रज्ञाय
60. प्रतापवते
61. बालार्कसदृशनाय
62. दशग्रीवकुलान्तक
63. लक्ष्मण प्राणदाता
64. महाद्युतये
65. चिरंजीवने
66. दैत्यविघातक
67. अक्षहन्त्रे
68. कालनाभाय
69. कांचनाभाय
70. पंचवक्त्राय
71. महातपसी
72. लंकिनीभंजन
73. श्रीमते
74. सिंहिकाप्राणहर्ता
75. लोकपूज्याय
76. धीराय
77. शूराय
78. दैत्यकुलान्तक
79. सुरारर्चित
80. महातेजस
81. रामचूड़ामणिप्रदाय
82. कामरूपिणे
83. मैनाकपूजिताय
84. मार्तण्डमण्डलाय
85. विनितेन्द्रिय
86. रामसुग्रीव सन्धात्रे
87. महारावण मर्दनाय
88. स्फटिकाभाय
89. वागधीक्षाय
90. नवव्याकृतपंडित
91. चतुर्बाहवे
92. दीनबन्धवे
93. महात्मने
94. भक्तवत्सलाय
95.अपराजित
96. शुचये
97. वाग्मिने
98. दृढ़व्रताय
99. कालनेमि प्रमथनाय
100. दान्ताय
101. शान्ताय
102. प्रसनात्मने
103. शतकण्ठमदापहते
104. योगिने
105. अनघ
106. अकाय
107. तत्त्वगम्य
108. लंकारि